Ped ki atmakatha nibandh hindi mein – पेड़ की आत्मकथा पर हिंदी निबंध
दोस्तों, आज हमने पेड़ की आत्मकथा पर एक बहुत ही सुंदर निबंध लिखा है। मैं आशा करता हूं कि आप सभी को पेड़ की आत्मकथा पर लिखा यह निबंध पसंद आएगा।
मैं प्रकृति के द्वारा प्रदान किया गया एक अनमोल उपहार हूं, जिस पर सभी जीवों का जीवन निर्भर करता है। मैं प्रकृति में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखता हूं। प्राकृतिक घटनाएं भी कहीं न कहीं मुझसे ही जुड़ी होती हैं। चाहे बारिश ज्यादा हो रही हो या कम हो रही हो, सूखा पड़ रहा हो या बाढ़ आ रही हो और यहां तक कि वायु प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग भी मुझसे संबंधित है।
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Ped ki atmakatha nibandh hindi mein – पेड़ की आत्मकथा पर हिंदी निबंध |
बचपन के दिनों में मुझे इन सब चीजों की जानकारी नहीं थी। अतः मेरे मन में प्रत्येक पल इस बात का भय लगा रहता था कि कोई मुझे काट ना दे या फिर कुचल न दे। इस भय के कारण से मैं हमेशा सहमा-सहमा रहता था। मेरे मन में यह विचार भी आता था कि मुझे अन्य पेड़ों की तरह बड़ा होने में कितना समय लगेगा और कब मेरी साखाओं का आकार भी अन्य पेड़ो की तरह विशाल हो जाएगा। लेकिन जैसे-जैसे मैं धीरे-धीरे बड़ा होने लगा, तब मैं प्रकृति को समझने लगा और मेरा यह भय धीरे-धीरे अपनेआप खत्म होता गया।
मेरे अंदर पर्णहरित नामक पदार्थ पाया जाता है और इसी पदार्थ के होने के कारण मेरी पत्तियों का रंग हरा होता है। इस पदार्थ के होने के कारण ही मैं अपना खाना खुद बना पाता हूं। यह पदार्थ कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण करने में काफी मददगार होता है और इसी के कारण मैं प्रकाश की उपस्थिति में अपना खाना बड़ी आसानी से बना पाता हूं। मेरे द्वारा खाना बनाने की विधि को मनुष्य 'प्रकाश संश्लेषण' कहते हैं।
आज मैं इतना बड़ा हो चुका हूं कि अब मेरी साखाएँ भी अन्य पेड़ो के जितनी विशाल हो चुकी हैं और अब मेरी डालियों पर भी फल और फूल लगने लगे हैं। मैं भी अब अन्य पेड़ो की तरह पंक्षियों को घर एवं मनुष्यों और अन्य जीवों को छाया दे सकता हूं।
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जब प्रातःकाल के समय में पंछी मेरी डाल पर बैठकर चहचहाते हैं या फिर जब लोग मेरे फल को खाने के लिए तोड़ते हैं, तो मुझे यह देख कर बहुत प्रसन्नता होती है। उस समय मुझे अपने आप पर गर्व महसूस होता है। मुझे उस समय भी उतनी प्रसन्नता होती है, जब कोई मेरी साखाओं की छाया का आनंद लेता है।
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इतना कुछ प्रदान करने के बाद भी जब मनुष्य हमें काटने का प्रयास करते हैं तब मुझे यह सब देख कर बहुत कष्ट होता है। वो पल मेरे जीवन का सबसे दुःख भरा पल होता है जब मैं अपने आसपास के पेड़ों को कटते देखता हूं। मैं बस यही चाहता हूं कि मनुष्य हम पेड़ों को अपने स्वार्थ के लिए काटना बंद करें और हमारे महत्व को समझे।