बाघ पर हिंदी में निबंध - Essay on tiger in hindi
बाघ जंगल में रहने वाले सबसे खतरनाक जानवरों में से एक है। इतना खतरनाक होने के पश्चात भी इस जानवर का अस्तित्व खतरे में है। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि बाघ की कुल 9 प्रजातियों में से तीन विलुप्त हो चुकी हैं। विश्व के अधिकतर बाघ भारत में पाए जाते हैं जिसका मुख्य कारण प्रोजेक्ट टाइगर अभियान है। आज हमने बाघ पर निबंध लिखा है जो कि क्रमशः 100 शब्द, 150 शब्द, 250 शब्द, 300 शब्द, 600 शब्द और 900 शब्द का है। इस निबंध में हमने बाघ से संबंधित सभी जानकारियां आपके समक्ष रखने का प्रयास किया है और हम आशा करते हैं कि आपको यह निबंध अवश्य पसंद आएगा।
Essay on tiger in hindi (100 words) / About tiger in hindi
बाघ एक खूंखार जंगली जानवर होता है जिससे जंगल के लगभग सभी जानवर दूरी बनाए रखना पसंद करते हैं। बाघ पूर्ण रुप से मांसाहारी होता है जो जंगल में रहने वाले अन्य जानवर जैसे हिरण आदि का शिकार करता है। पूरे विश्व भर में सबसे अधिक बाघ भारत में पाए जाते हैं और यह भारत का राष्ट्रीय पशु भी है।
बाघ का जबड़ा और पंजे अत्यंत ही मजबूत होते हैं और इनकी मदद से ही वह अन्य जानवरों का शिकार करता है। बाघ नारंगी, सफेद और सुनहरे रंग के होते हैं और इन सभी रंगो पर काले रंग की धारियां बनी होती हैं।
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बाघ पर हिंदी में निबंध - Essay on tiger in hindi |
Essay on tiger in hindi (150 words) / About tiger in hindi
बाघ एक जंगली जानवर होता है जो बिल्लियों के परिवार से संबंधित है। आकार में बाघ बिल्लियों के परिवार के अंतर्गत आने वाले सभी जानवरों में सबसे बड़ा होता है। इसका वैज्ञानिक नाम पैंथेरा टाइग्रिस है। यह बहुत ज्यादा खतरनाक जानवर होता है क्योंकि यह शेर से भी अधिक आक्रामक प्रवृत्ति का होता है।
बाघ की शारीरिक संरचना अन्य जानवरों की तरह ही होती है। इसके पास भी दो आंखें, दो कान, चार पांव, एक नाक और एक पूंछ होती है। इसके पंजे और दांत अत्यंत ही नुकीले होते हैं जिनकी सहायता से यह बड़ी आसानी से शिकार कर पाता है। बाघ मांसाहारी होता है और यह जंगल में रहने वाले जानवर जैसे हिरण, बकरी, गाय, भैंस आदि का शिकार करता है।
बाघ मुख्य रूप से तीन रंगों का होता है जिसमें काली धारियां तीनों रंगों में होती हैं। बाघ का रंग काली धारियों के साथ नारंगी, सफेद या फिर सुनहरा होता है।
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Essay on tiger in hindi (250 words) / About tiger in hindi
बाघ एक जंगली जानवर होता है जो दूसरे शाकाहारी जंगली जानवरों का शिकार करता है और उनसे अपना भोजन प्राप्त करता है। बाघ द्वारा शिकार किए जाने वाले जानवर हिरण, बकरी, जंगली सूअर, भैंस आदि हैं।
बाघ का वैज्ञानिक नाम पैंथेरा टाइग्रिस होता है। बाघ अपने चार पैरों का उपयुक्त उपयोग करके बड़ी आसानी से लंबी छलांगे लगा लेता है। बाघ की आंख मनुष्य के मुकाबले बहुत अच्छी होती हैं। इसके अलावा बाघ के दो कान, एक नाक, एक पूंछ होती है।
बाघ लंबाई 9 फीट तक हो सकती है जबकि ऊंचाई 4 फीट तक होती है। बाघ की पूंछ भी 3 फीट से अधिक नहीं होती है। बाघ बिल्ली के परिवार से संबंधित जानवर है और यह बिल्ली के परिवार में गिने जाने वाले सभी जानवरों में सबसे बड़े आकार वाला भी है।
बाघ का रंग काली धारियों के साथ नारंगी, सफेद और सुनहरा होता है। इसके पंजे और दांत नुकीले होने के अलावा मजबूत भी होते हैं जिसके कारण शिकार को दबोचने के पश्चात उसका बचपाना लगभग असंभव हो जाता है।
एक व्यस्क बाघ का वजन 100 किलो से 300 किलो तक होता है और गति 49-65 किलोमीटर प्रति घंटा तक होती है। बाघों की कुल 9 प्रजातियां होती हैं जिसमें 3 प्रजातियों के बाघ विलुप्त हो चुके हैं और 6 प्रजातियों के बाघों में से 3 प्रजाति के बाघ 4 देशों के राष्ट्रीय पशु है।
दुनिया के अधिकतर बाघ भारत में रहते हैं जिनमें से रॉयल बंगाल टाइगर प्रजाति का बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है। प्रोजेक्ट टाइगर के कारण ही भारत में बाघों की इतनी बड़ी संख्या रहती है और इसी प्रोजेक्ट टाइगर के कारण भारत में बाघों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है।
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Essay on tiger in hindi (300 words) / About tiger in hindi
बाघ सबसे बड़े आकार वाली बिल्लियों के परिवार से संबंधित जानवर है। बाघ का आकार शेर से भी बड़ा होता है। इसके अलावा बाघ शेर से अधिक आक्रामक प्रवृत्ति का होता है। बाघ को पैंथेरा टाइग्रिस नामक वैज्ञानिक नाम दिया गया है।
यदि बात बाघ की शारीरिक संरचना की करें तो इसके पास भी दो आंखें, दो कान, एक नाक, एक पूंछ और चार पांव होते हैं। बाघ की ऊंचाई लगभग 4 फीट होती है और यदि लंबाई की बात करें तो यह 6 से लेकर 9 फीट तक होती है। इसके अलावा बाघ की पूंछ भी 3 फीट तक लंबी हो सकती है।
बाघ अपना भोजन जंगल में रहने वाले शाकाहारी जानवर जैसे हिरण, बकरी, भैंस आदि का शिकार करके प्राप्त करता है। बाघ का रंग नारंगी, सफेद और सुनहरा होता है और इन सभी रंगो के बाघों पर काले रंग की धारियां बनी होती है।
एक व्यस्क बाघ का औसतन वजन 100 से 300 किलो तक होता है। बाघ की गति 65 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है परंतु बाघ इस गति से ज्यादा अधिक समय तक नहीं दौड़ सकता है। जंगल में रहने वाले बाघ कैद में रहने वाले बाघों की अपेक्षा कम जीते हैं। जो बाघ जंगल में रहते हैं वे 10 से 15 वर्ष ही जी पाते हैं जबकि कैद में रहने वाले बाघ लगभग 25 वर्ष तक जीते हैं।
बाघ की 9 प्रजातियां होती हैं परंतु अब केवल 6 ही बची हैं और बाकी तीन विलुप्त हो चुकी हैं। इन 6 प्रजाति के बाघों में सबसे अधिक संख्या रॉयल बंगाल टाइगर प्रजाति के बाघों की है। यही रॉयल बंगाल टाइगर प्रजाति का बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु भी है। इसके अलावा भारत में ही विश्व के सबसे अधिक बाघ पाए जाते हैं।
भारत में बाघों की सबसे अधिक संख्या होने का कारण अप्रैल 1973 में शुरु किया अभियान प्रोजेक्ट टाइगर है और इस अभियान के कारण ही भारत में बाघों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी गई है।
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Essay on tiger in hindi (600 words) / About tiger in hindi
बाघ एक ऐसा जंगली जानवर है जिसके बारे में शायद ही कोई नहीं जानता होगा। बाघ नामक इस जंगली जानवर से जंगल के सभी जानवर डरते हैं। यह बहुत ही आक्रामक प्रवृत्ति का होता है और इसकी आक्रामक का अनुमान आप इस बात से लगा सकते हैं कि इसकी शेर से भी अधिक आक्रामक प्रवृत्ति होती है। यह किसी जानवर को पकड़ ले तो उस जानवर का बच पाना लगभग असंभव है।
बाघ बिल्लियों के परिवार में गिना जाता है और यह बिल्ली के परिवार के सभी जानवरों में सबसे बड़े आकार का होता है। इसका आकार शेर से भी बड़ा होता है परंतु पूंछ की लंबाई शेर की अधिक होती है। पूंछ की लंबाई अधिक होने के पश्चात भी शेर आकार में इससे छोटा होता है। बाघ को वैज्ञानिक नाम पैंथेरा टाइग्रेस दिया गया है। बाघ की एक खासियत यह भी होती है कि यह अकेला रहना पसंद करता है।
बाघ की लंबाई औसतन 6 से 9 फीट और ऊंचाई 4 फीट तक होती है। पूंछ अधिक से अधिक 3 फीट लंबी हो सकती है। बाघ के चार पैर होते हैं जिनकी सहायता से वह लंबी छलांग लगा सकता है। बाघ की दो पीली आंखें होती हैं जिनसे वह रात में मनुष्य की आंखों के मुकाबले लगभग 6 गुना अधिक अच्छे से देख सकता है। इसके अलावा बाघ के दो छोटे कान, एक नाक और एक पूंछ होती है। इसके पंजे और दांत बहुत मजबूत और नुकीले होते हैं जो शिकार करते समय बहुत काम आते हैं।
बाघ मुख्य रूप से तीन रंगों में पाया जाता है और इन तीनों रंगों पर काले रंग की धारियां बनी होती हैं। वे तीन रंग इस प्रकार से हैं- नारंगी, सफेद और सुनहरा।
बाघ का वजन औसतन 100 किलो से लेकर 300 किलो तक होता है। कुछ बाघों का वजन 300 किलो से अधिक भी होता है। साइबेरियन प्रजाति के बाघ सबसे बड़े आकार के होते हैं और सबसे छोटे आकार वाले बाघ सुमात्रा प्रजाति के होते हैं।
बाघों की कुल 9 प्रजातियां होती हैं जिसमें तीन विलुप्त हो चुकी हैं और बची हुई छह प्रजातियों में बंगाल टाइगर, सुमात्रा बाघ, साइबेरियन बाघ, दक्षिणी चीनी बाघ, इंडो-चाइनीज़ बाघ, मलयान बाघ आते हैं। विश्व में पाए जाने वाले बाघों की कुल संख्या में लगभग आधे बाघ बंगाल टाइगर प्रजाति के होते हैं।
बाघ मांसाहारी होते हैं इसलिए ये जंगल में रहने वाले शाकाहारी जानवरों को मारकर अपना भोजन प्राप्त करते हैं। बाघ के द्वारा शिकार किए जाने वाले जानवर हिरण, गाय, भैंस, जंगली सूअर, बकरी आदि हैं। बाघ अपना शिकार रात में करते हैं और एक बार सफलतापूर्वक शिकार करने के लिए इन्हें 20 बार शिकार का प्रयास करना पड़ता है।
बाघ की गति 49-65 किलोमीटर प्रति घंटा होती है परंतु भारी शरीर होने के कारण ये इस गति से अधिक समय तक नहीं दौड़ सकते हैं। बाघ का जीवनकाल उसके रहने के स्थान पर निर्भर करता है। जंगल में रहने वाले बाघ 15 वर्ष से अधिक नहीं जी पाते हैं जबकि कैद में रखे गए बाघ 25 वर्ष तक जी सकते हैं।
एक बाघिन का गर्भकाल 3 से 3.5 महीने अर्थात 93-112 दिनों का होता है। बाघिन के एक बारी में दो से तीन बच्चे होते हैं और यह हर 2 साल में बच्चे देती है। बाघ के लगभग आधे बच्चे अपने जीवन के पहले 2 साल भी नहीं जी पाते।
रॉयल बंगाल टाइगर प्रजाति का बाघ भारत व बांग्लादेश का राष्ट्रीय पशु है। रॉयल बंगाल टाइगर की तरह साइबेरियन प्रजाति का बाघ दक्षिण कोरिया का राष्ट्रीय पशु है और मलयान प्रजाति का बाघ मलेशिया का राष्ट्रीय पशु है। भारत में विश्व के लगभग 70% बाघ रहते हैं जिसका कारण भारत सरकार द्वारा बाघों के संरक्षण हेतु शुरु किया अभियान प्रोजेक्ट टाइगर है। प्रोजेक्ट टाइगर अभियान को अप्रैल 1973 में शुरू किया गया और बाघ को भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया। इस अभियान के कारण ही आज भारत में बाघों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
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Essay on tiger in hindi (900 words) / About tiger in hindi
बाघ एक ऐसा जानवर है जिससे जंगल में रहने वाले सभी जानवर डरते हैं। यह इतना खतरनाक होता है कि यदि एक बार किसी को पकड़ ले तो उसका जीवित बचपाना लगभग असंभव होता है। इसकी पकड़ में आया कोई जानवर अपनी जान बचाने में सफल हुआ हो ऐसे उदाहरण न के बराबर देखने को मिलते हैं।
बाघ की शारीरिक संरचना पर दृष्टि डालें तो इसका आकार शेर के आकार से भी बड़ा होता है। यह बिल्लियों के परिवार से संबंधित जानवर है और यह बिल्लियों के परिवार से संबंधित सभी जानवरों में सबसे बड़े आकार वाला जानवर है। बाघ का वैज्ञानिक नाम पैंथेरा टाइग्रिस होता है जो अकेला रहना पसंद करता है।
बाघ की लंबाई 6 फीट से लेकर 9 फीट तक हो सकती है जबकि पूंछ की लंबाई 3 फीट तक हो सकती है। बाघ अनेक रंग में पाए जाते हैं परंतु काले रंग की धारियां सभी रंग के बाघों में एक जैसी होती हैं। बाघ नारंगी, सफेद और सुनहरे रंग का होता है और इसकी आंखें पीले रंग की होती हैं परंतु पुतली काले रंग की होती है। बाघ की आंखें रात में मनुष्य की अपेक्षा लगभग 6 गुना बेहतर देख सकती हैं। इसके अलावा बाघ के चार पांव, दो छोटे कान, एक नाक और एक पूंछ होती है। इसके नाखून बहुत नुकीले होते हैं बिल्कुल इसके दातों की तरह। बाघ की दहाड़ने की क्षमता भी अद्भुत होती है। बाघ की दहाड़ को 3 किलोमीटर की दूरी से भी सुना जा सकता है।
बाघ के वजन की बात करें तो इसका वजन लगभग 100 किलो से लेकर 300 किलो तक होता है। वहीं अगर बात भारत के राष्ट्रीय पशु अर्थात रॉयल बंगाल टाइगर की जाए तो इसका वजन 180 किलो से लेकर 300 किलो तक होता है। कुछ रॉयल बंगाल टाइगर का वजन 300 किलो से अधिक भी पाया गया है। बाघों की सभी प्रजाति में साइबेरियन प्रजाति के बाघ सबसे बड़े आकार के होते हैं। इन्ही साइबेरियन प्रजाति के बाघों को अमूर(amur) बाघ भी कहा जाता है। सबसे छोटे आकार वाले सुमात्रा प्रजाति के बाघ होते हैं।
बाघ की पूरे विश्व में 9 प्रजातियां होती हैं जो इस प्रकार से हैं- बंगाल टाइगर, सुमात्रा बाघ, साइबेरियन बाघ, दक्षिणी चीनी बाघ, इंडो-चाइनीज़ बाघ, मलयान बाघ, जवन बाघ, कैस्पियन बाघ और बाली बाघ। इन बाघों की 9 प्रजातियों में से केवल छह प्रजातियां ही बची है जबकि तीन प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है। 6 प्रजाति के बाघ जो अभी भी अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं वो इस प्रकार से हैं- बंगाल टाइगर, सुमात्रा बाघ, साइबेरियन बाघ, दक्षिणी चीनी बाघ, इंडो-चाइनीज़ बाघ, मलयान बाघ। बाघ की वह प्रजातियां जो विलुप्त हो चुकी हैं वो इस प्रकार से हैं- जवन बाघ, कैस्पियन बाघ और बाली बाघ। दुनिया के लगभग आधे बाघ बंगाल टाइगर प्रजाति के हैं।
बाघ पूर्ण रुप से मांसाहारी होता है जो जंगल में रहने वाले शाकाहारी जानवर जैसे हिरण, जंगली सूअर, भैंस, बकरी आदि का शिकार करके अपना भोजन प्राप्त करता है। यह अपना अधिकतर शिकार रात के समय करता है क्योंकि रात के समय शिकार करना आसान होता है। बाघ यदि 20 बार शिकार करने का प्रयास करता है तो वह एक बार ही सफल हो पाता है। बाघ प्रत्येक वर्ष लगभग 50 हिरन जितने जानवर खा जाता है। यह एक बार में 25 किलो मांस तक खा सकता है।
बाघ की गति 49 किलोमीटर प्रति घंटे से लेकर 65 किलोमीटर प्रति घंटा तक होती है परंतु यह इस गति के साथ अधिक समय तक नहीं दौड़ सकता है। बाघ का जीवनकाल इस बात पर निर्भर करता है कि वह कहां रहता है। जंगली बाघ का जीवनकाल अधिक से अधिक 15 वर्ष तक का होता है जबकि कैद में रखे बाघ का जीवनकाल 20 से 25 वर्ष तक हो सकता है।
एक बाघिन का गर्भकाल 93 दिन से 112 दिन तक का होता है और यह हर 2 साल में बच्चों को जन्म देती है। बाघिन द्वारा एक बार में दिए गए बच्चों की संख्या अधिकतर दो या तीन होती है। बाघ के बच्चों की आंखे लगभग आधे महीने बाद खुलती हैं। इसके अलावा बाघ के लगभग आधे बच्चे 2 साल भी नहीं जी पाते हैं।
बाघ भारत ही नहीं बल्कि विश्व के तीन अन्य देशों का भी राष्ट्रीय पशु है। हालांकि, प्रत्येक देश का राष्ट्रीय पशु अलग प्रजाति का बाघ है। भारत और बांग्लादेश का राष्ट्रीय पशु रॉयल बंगाल टाइगर है जबकि दक्षिण कोरिया का राष्ट्रीय पशु साइबेरियन बाघ है। मलयान प्रजाति का बाघ मलेशिया का राष्ट्रीय पशु है।
बाघ की आबादी मुख्य रूप से एशिया में पाई जाती है। पूरे विश्व के लगभग 70% बाघ अकेले भारत में रहते हैं। भारत के अलावा बाघ नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, चीन, दक्षिण कोरिया, अफगानिस्तान, इंडोनेशिया आदि में भी पाए जाते हैं। भारत में सबसे अधिक बाघ मध्य प्रदेश में पाए जाते हैं जबकि दूसरे स्थान पर कर्नाटक और तीसरे स्थान पर उत्तराखंड है। मध्यप्रदेश में बाघों की कुल संख्या 526 है। कर्नाटक में बाघों की कुल संख्या 524 है और उत्तराखंड में बाघों की कुल संख्या 442 है।
भारत सरकार द्वारा बाघों के संरक्षण के लिए अप्रैल 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर अभियान की शुरुआत की गई और बाघ को राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया। यही कारण है कि पूरे विश्व में सबसे अधिक बाघ भारत में पाए जाते हैं। बाघों के संरक्षण के महत्व को समझाने के लिए प्रतिवर्ष 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस मनाया जाता है। अच्छी बात यह है कि भारत में बाघों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है और इसमें प्रोजेक्ट टाइगर अभियान की एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है।