आत्मकथा: आम की आत्मकथा इन हिंदी / Aam ki Atmakatha in Hindi
दोस्तों, यह लेख आम की आत्मकथा पर है, जिस आम को आप गर्मियों के मौसम में बड़े आनंद से खाते हैं। आम को खाते समय इसकी मिठास से मन खुशी से झूम उठता है और इसे खाने का मन बार-बार करता रहता है। यही कारण है कि इसे फलों का राजा भी कहा जाता है। चलिए, फलों के राजा कहे जाने वाले आम की आत्मकथा को पढ़ना शुरू करते हैं।
मैं फलों का राजा आम हूं, जिसे गर्मियों के मौसम में बड़े चाव से खाया जाता है। मैं भले ही अपने बचपन के दिनों में छोटे आकार व खाने में खट्टे स्वाद वाला था, परंतु जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ तो समय के साथ मेरा आकार व अन्य चीजें भी पहले से भिन्न होती गई। अब मेरा स्वाद बहुत मीठा हो चुका है।
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Aam ki Atmakatha in Hindi |
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इसके अलावा कुछ लोग हमें कच्चा खाना भी पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें हमारा खट्टा स्वाद नमक के साथ लगाकर खाने में ही अधिक आनंद आता है। अधिकतर बच्चे ही हमें कच्चा खाना पसंद करते हैं।
वहीं अगर बात मेरे रंग पर हो तो बचपन में मेरा रंग सिर्फ हरा था, परंतु आज मेरा रंग मुख्यतः पीला है। इसके अलावा मैं थोड़ा सा हरा और लाल भी हूं। वैसे तो मेरी कुछ अन्य प्रजातियां ऐसी भी हैं जिनका रंग बड़े होने पर भी सिर्फ हरा ही रहता है।
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इतना बड़ा हो जाने के बाद भी मैं अभी इस समय पेड़ पर ही टंगा हुआ हूं। मेरे साथ के अधिकतर आम कुछ समय पहले ही तोड़े जा चुके हैं और अब मैं भी यही प्रतिक्षा कर रहा हूं कि कब मुझे कोई इस पेड़ से तोड़ेगा और मेरा स्वाद चखेगा।
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जब कोई मेरा स्वाद चखेगा, तो उस समय मेरा रस उसकी जीभ पर पड़ते ही उसका मन आनंदित हो उठेगा और उसे आनंदित देखकर मैं अपने आप को अत्यंत ही भाग्यशाली मानूंगा कि मेरे कारण किसी के मुख पर प्रसन्नता आई व मन आनंदित हुआ।