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[कहानी] सियार और ढोल की कहानी / Siyar aur Dhol ki Kahani

एक सियार भोजन की खोज में इधर-उधर घूमते हुए रणभूमि पर आ पहुंचा जहां कुछ समय पहले ही युद्ध हुआ था। वहां उसने अनेकों प्रकार के तीर, तलवारे एवं अन्य अनेक प्रकार अस्त्र देखें, मगर वह तो भोजन की खोज में निकला था, इसलिए वह वहां भोजन की सामग्री को खोजने में जुट गया।

बहुत खोजने के बाद भी उसे भोजन का एक दाना तक ना मिल पाया परंतु रणभूमि से जाते समय उसे एक आवाज बहुत पहले से सुनाई दे रही थी, जो वास्तव में एक ढोल के बजने की आवाज थी। यह ढोल अपने आप ही नहीं बज रहा था, बल्कि वह ढोल जिस पेड़ के करीब था, उसी पेड़ की टहनियां बार-बार उससे टकरा रही थी और उसके कारण ही ध्वनि प्रकट हो रही थी।



सियार ध्वनि की आहट को सुनकर ढोल के करीब पहुंचा और छुपकर उसे देखने लगा। उसे देखते ही सियार ने अपने मन में विचार किया कि शायद यह कोई विचित्र प्रकार का जानवर है, जो बार-बार अपनी ध्वनि प्रकट कर रहा है। 

सियार सर्वप्रथम उसे देखते ही डर गया था और वहां से चुपचाप निकलने की सोच रहा था परंतु उसने थोड़ा संयम रखा और आवाज की वास्तविकता को जानने के लिए उत्सुकता दिखाई। 

Siyar aur Dhol ki Kahani
Siyar aur Dhol ki Kahani


सियार धीरे-धीरे ढोल के निकट जाने लगा और एक समय वह इतना निकट आ गया कि जहां से वह ढोल को बड़ी आसानी से छू सकता था। उसने अपने कांपते हुए हाथों से धीरे धीरे ढोल को छूने का प्रयास किया और जैसे ही उसके हाथों द्वारा ढोल पर स्पर्श हुआ उसने अपने हाथों को तुरंत पीछे खींच लिया।

उसने महसूस किया कि जिसे वह विचित्र एवं खतरनाक जानवर समझ रहा था, वह वास्तविकता में इतना खतरनाक भी नहीं है, जितना उसने सोचा था। इसके कारण उसे थोड़ा और साहस मिला और वह बार-बार ढोल को छूने लगा। बार-बार ढोल को छूने के कारण, अब उसका ढोल के प्रति डर पूर्णतः खत्म हो चुका था।



अब उसे लगने लगा कि यह तो उस विचित्र जानवर का ऊपरी खोल है और इस खोल के अंदर ही वह विचित्र जानवर छुपा हुआ है। इसके साथ ही उसके मन में यह भी विचार आया कि जिस जानवर का खोल इतनी मोटी चमड़ी का है, उसमें कितना अधिक मांस और खून होगा जिसे खाने का आनंद ही अलग होगा।

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इसके बाद सियार बड़े उत्साह से ढोल की चमड़ी के खोल को दांतों से काटने लगा जिसके कारण उसके तीन दांत भी टूट गए, परंतु अति उत्साह होने के कारण उसने इन बातों की चिंता न करके, केवल ढोल की चमड़ी के खोल को फाड़ने पर अधिक ध्यान केंद्रित किया। बहुत मेहनत करने के पश्चात वह ढोल की चमड़ी के खोल को अपने दांतों द्वारा फाड़ने में सफल हुआ।

जैसे ही उसने खोल को फाड़ने के पश्चात, ढोल के भीतर झांका तो उसने देखा कि ढोल अंदर से पूरी तरह खाली है और उसके अंदर कुछ भी नहीं है। अतः आखिर में वह हताश होकर वहां से चला गया परंतु उसके मन में इस बात का संतोष था कि उसने उस विचित्र आवाज के भय को अपने अंदर से निकाल फेंका था।

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