[कहानी] लोमड़ी और कौवा की कहानी / Lomdi aur Kauwa ki Kahani
एक बार की बात है, एक जंगल में एक लोमड़ी बहुत समय से भूखी थी और भोजन की तलाश में इधर से उधर भटक रही थी। बहुत अधिक भोजन की तलाश करने के बाद भी उसे भोजन का एक अंश तक ना मिल पाया।
वह हताश होकर धीरे धीरे आगे बढ़ने लगी और अपने मन में विचार करने लगी कि शायद उसे आज का भोजन नहीं मिल पाएगा। वह यह सब सोच ही रही थी कि उतने में उसे थोड़ी दूरी पर पेड़ के ऊपर एक कौवा बैठा दिखाई दिया, जिसकी चोंच में एक रोटी का टुकड़ा था।
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लोमड़ी रोटी के टुकड़े को देखते ही अत्यंत खुश हो गई और रोटी के टुकड़े को प्राप्त करने के लिए योजना बनाने लगी। वह विचार करने लगी कि यदि वह किसी तरह से कौवे के मुंह से रोटी का टुकड़ा नीचे जमीन पर गिरवा देती है तो वह उस रोटी के टुकड़े को बड़ी आसानी से प्राप्त कर सकती हैं और आज अपना पेट भर सकती है।
कुछ समय लोमड़ी के विचार करने के पश्चात, लोमड़ी को एक उपाय सूझा और वह कौवे के पास गई। कौवे के पास जाते ही उसने कौवे से कहा कि कौवे भाई! तुम कितने सुंदर हो। तुम्हारी आवाज कितनी मीठी है, जिसे सुनने का मन हमेशा करता रहता है। अगर तुम मुझे अपनी थोड़ी मीठी आवाज सुना देते हो तो मेरा आज का दिन और अच्छा हो जाएगा।
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मूर्ख कौवा अपनी प्रशंसा सुनकर अत्यंत प्रसन्न हुआ और अपने मन में विचार करने लगा कि वह कितना सौंदर्यवान है और साथ में उसकी आवाज भी कितनी अच्छी है जिसे हर कोई सुनना चाहता है।
कौवे के इतना सोचते ही लोमड़ी ने कौवे से कहा कि क्या आप मुझे अपनी आवाज नहीं सुनाएंगे? क्या मुझे आपकी आवाज सुने बिना ही आज का दिन गुजारना पड़ेगा?
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लोमड़ी के द्वारा इतना कहते ही कौवा पहले से और ज्यादा प्रसन्न हो गया। जैसे ही उसने कुछ कहना शुरू किया, वैसे ही उसके मुंह से रोटी का टुकड़ा नीचे गिर गया और लोमड़ी तुरंत मौका पाकर रोटी का टुकड़ा लेकर चली गई।
मूर्ख कौवा केवल यह दृश्य देखता ही रह गया और इसके अलावा कुछ ना कर पाया। उसे अपनी मूर्खता पर बहुत पछतावा हुआ, परंतु वह अब अपनी मूर्खता पर पछताने के अलावा कुछ भी नहीं कर सकता था।
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