[कहानी] कबूतर और चींटी की कहानी / Kabutar aur Chiti ki Kahani
एक बार गर्मी के समय की बात है, एक चींटी बहुत अधिक प्यासी थी और पानी की खोज में इधर से उधर भटक रही थी। बहुत अधिक भटकने के पश्चात उसे एक नदी दिखी।
नदी के पास पहुंचने के पश्चात वह सोचने लगी कि पानी किस तरह पिया जाए क्योंकि चींटी सीधे नदी में पानी पीने के लिए नहीं जा सकती थी। चींटी को एक उपाय सूझा और वह एक छोटे पत्थर पर चढ़ गई और नदी में पानी पीने के लिए कोशिश करने लगी परंतु उसकी यह योजना विफल रही और वह सीधा नदी में गिर गई।
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Kabutar aur Chiti ki kahani |
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उसी नदी के किनारे पर एक पेड़ था जिसमें एक कबूतर रहता था। वह कबूतर बहुत ही दयालु और अच्छे स्वभाव वाला था इसीलिए उसने जैसे ही चींटी को नदी में बहते हुए देखा तो तुरंत ही पेड़ से एक पत्ता तोड़कर चींटी के पास फेंक दिया।
चींटी कबूतर द्वारा फेंके गए पत्ते पर चढ़ गई और थोड़े ही समय बाद वह पत्ता थोड़ी दूर जाकर नदी के किनारे पर पहुंच गया जिससे चींटी भी जमीन पर आ गई और उसकी जान बच गई।
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कुछ दिनों पश्चात एक शिकारी ने कबूतर को पकड़ने के लिए उसके पेड़ के निकट दाने डाल कर जाल बिछा दिया और खुद थोड़ी दूरी पर जाकर दूसरे पेड़ के पीछे छुप गया।
जैसे ही कबूतर की दृष्टि दानों पर पड़ी, वह दाना चुगने के लिए नीचे आया और शिकारी द्वारा बिछाए गए जाल में आकर फंस गया।
जिस चींटी की कबूतर ने जान बचाई थी, वह भी यह दृश्य देख रही थी और कबूतर को फंसा देख उसे बचाने के लिए उपाय सोचने लगी। चींटी को एक उपाय सूझा और जैसे ही शिकारी कबूतर का जाल पकड़कर आगे चलने लगा वैसे ही चींटी ने वहां तेजी से पहुंचकर शिकारी के पैर पर जोर से काटा।
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चींटी द्वारा जोर से काटने के कारण शिकारी ने अपना हाथ से जाल को छोड़ दिया और अपने पांव की तरफ देखने लगा। हाथ से जाल के छूटते ही कबूतर को भागने का मौका मिल गया और वह इस मौके का फायदा उठाते हुए तेजी से आसमान की ओर उड़ गया।
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