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[कहानी] चिड़िया और बंदर की कहानी / Chidiya aur Bandar Ki Kahani

एक जंगल में एक पेड़ पर एक छोटी सी चिड़िया रहती थी जिसे दूसरों की मदद करना बहुत अच्छा लगता था। वह यह नहीं सोचती थी कि सामने वाले को उसकी मदद चाहिए भी या नहीं और वह बिना बोले ही हर किसी की मदद करना शुरु कर देती थी।

इसके अलावा चिड़िया बहुत मेहनती भी थी और हमेशा दूसरों से बिना मदद मांगे ही अपना कार्य करती थी। ठंड का मौसम शुरू होने वाला था इसलिए चिड़िया ने ठंड से निपटने का इंतजाम पहले ही कर लिया था और वह बड़े आराम से अपने घोंसले में रह रही थी।



ठंड का मौसम आने पर जैसे ही ठंडा होने लगा तो एक दिन चिड़िया के पेड़ के पास चार बंदरों की एक टोली आई जो ठंड के कारण कांप रही थी। उन चारों बंदरों को देखकर चिड़िया बड़ी उदास हुई और उनकी मदद करने की सोचने लगी।

चारों बंदरों की टोली में एक बंदर ने कहा कि यदि हमें यहां आग तापने को मिल जाए तो ठंड दूर हो जाएगी और हम पहले की तरह उछल कूद सकेंगे।

उन्हीं चारों बंदरों में से दूसरे बंदर ने कहा कि यहां नीचे बहुत सारी सूखी पत्तियां गिरी हुई हैं। यदि हम इन्हें एकत्रित कर ले और जलाएं तो आग की बढ़िया व्यवस्था हो जाएगी।

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चारों बंदरों ने मिलकर सूखी हुई पत्तियों को एकत्रित किया और आग कैसे जलाएं इसके बारे में सोचने लगे। जब वे आग जलाने के बारे में सोच ही रहे थे कि तभी उनमें से एक बंदर की दृष्टि थोड़ी दूरी पर उड़ रहे एक जुगनू पर पड़ी।

उस बंदर ने उड़ते हुए जुगनू की ओर संकेत करके अपने अन्य साथी बंदरों से कहा कि देखो उड़ती हुई चिंगारी। यदि हम इस चिंगारी को सूखे पत्तों के ढेर के नीचे रखकर जोर-जोर से फूंक मारेंगे तो आग अवश्य जलेगी।

उस बंदर की बात सुनकर उसके अन्य साथी भी उसकी हां में हां मिलाने लगे और जुगनू को पकड़ने के लिए इधर उधर दौड़ने लगे। इस दृश्य को चिड़िया शुरुआत से देख रही थी और अब उससे उनकी मदद किए बिना न रहा गया।




चिड़िया बंदरों से बोली के बंदर भाइयों, यह जुगनू है ना की कोई चिंगारी। इसके द्वारा आग नहीं जलाई जा सकती।

चिड़िया के इतना कहते ही उनमें से एक बंदर क्रोधित स्वरों में बोला,"अब एक छोटी सी चिड़िया हमें बताएगी कि आग कैसे जलानी है। अगर तुझे अपना जीवन प्यारा है तो चुप हो जा।"

इसके बाद चारों बंदर फिर से जुगनू को पकड़ने का प्रयास करने लगे और अंत में उनमें से किसी एक बंदर ने जुगनू को अपनी हथेलियों का उपयोग करके कैद कर लिया।

जुगनू को पकड़ने के पश्चात बंदरों ने उसे सूखे पत्तों के ढेर के नीचे रख दिया और जोर जोर से भूख मारने लगे। सभी बंदरों द्वारा एक साथ फूंक मारने के पश्चात भी आग नहीं जली।


यह सब देख चिड़िया फिर से बंदरों की मदद करने की सोचने लगी और उसने कहा,"आग ऐसे नहीं जलेगी, यदि आप आग जलाना चाहते हैं तो आप दो पत्थरों को आपस में टकराकर चिंगारियां पैदा कर सकते हैं जिससे सूखे पत्तों पर लग जाएगी।"

चिड़िया के इतना कहते ही बंदर फिर से भड़क उठे और चिड़िया को थोड़ी देर तक घूरने लगे। उसके बाद वे फिर से आग जलाने के लिए जोर जोर से फूंक मारने लगे। इस बार भी पिछली बार की तरह आग नहीं लगी।

चिड़िया ने फिर से एक बार उनकी मदद करने की सोची और उसने कहा कि यदि आप आग जलाना ही चाहते हैं तो आप दो सूखी लकड़ियों को आपस में रगड़ के देखिए, आग निश्चित रूप से लग जाएगी।

बंदर पहले से ही चिड़िया पर बहुत अधिक क्रोधित हो चुके थे और अब की बार चिड़िया द्वारा फिर से वही हरकत करने के पश्चात वे और भी ज्यादा भड़क गए और उनमें से एक बंदर इतना क्रोधित हो गया कि वह चिड़िया के घोंसले पर आ पहुंचा।

चिड़िया के घोंसले पर पहुंचने के बाद उसने चिड़िया को उठाया और पेड़ के तने पर जोर से पटक दिया जिससे चिड़िया की वहीं मृत्यु हो गई।

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