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[कहानी] बगुला और नेवला की कहानी / Bagula aur Nevla ki Kahani

किसी जंगल में एक पेड़ के खोल में कुछ बगुले रहते थे। उनका यह डेरा उस पेड़ पर बहुत में पहले से थे और वे वहां बहुत अधिक खुश थे जब तक कि उस पेड़ के नीचे सांप ने अपना बिल नहीं बनाया था। 


सांप के बिल बनाने के बाद वह बगुले बहुत अधिक परेशान रहने लगे क्योंकि सांप छोटे छोटे बगुलों को अपना शिकार बना लेता था और उनसे ही अपना भोजन यापन करता था।

Bagula aur Nevla ki Kahani
Bagula aur Nevla ki Kahani

एक बगुला सांप के कारण इतना परेशान हो गया की बहन नदी के किनारे दुखी होकर बैठ गया। उसे बड़े समय से दुखी देख वहां एक केकड़ा आया और उससे कहने लगा,"क्या हुआ बगुले भाई बड़े उदास दिख रहे हो? आज से पहले मैंने तुम्हें इतना उदास कभी नहीं देखा। क्या बात है मुझे बताओ? शायद मैं तुम्हें उसका कोई समाधान बता दूं।"

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इतने में उस बगुले ने केकड़े को सारी बात बता दी जिसे सुनकर केकड़ा मन ही मन अत्यंत खुश हुआ क्योंकि बगुले उसके बैरी थे परंतु उसने अपनी यह खुशी बगुले के सामने प्रकट नहीं करी और मन ही मन सोचने लगा कि ऐसा क्या करूं जिससे सांप के साथ इस पेड़ पर रहने वाले सभी बगुले भी निपट जाए।

उसके मन में एक उपाय सूझा और उस उपाय को सार्थक करने के लिए उसने बगुले से कहा कि तुम ऐसा करो, कुछ मांस के टुकड़े नेवले के बिल में डाल दो और कुछ मांस के टुकड़े नेवले के बिल से सांप के बिल तक बिखेर दो। नेवला मांस के टुकड़ों का पीछा करते-करते सांप के बिल तक आ पहुंचेगा और उसे वहीं मार देगा।

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मूर्ख बगुला केकड़े की बातों में आ गया और उसने अन्य बगुलों के साथ मिलकर ऐसा ही किया। योजना के अनुसार नेवला मांस के टुकड़ों का पीछा करते-करते सांप के बिल में आ पहुंचा और उसने सांप को मारकर खा डाला।

सांप को खाने के बाद नेवले की दृष्टि पेड़ पर बैठे बगुलों पर भी गई और उसने बिना समय गवाएं उन्हें भी वहीं मार डाला। सभी बगुले केकड़े की बातों में तो आ गए परंतु उन्होंने एक बार भी केकड़े की इस योजना के दुष्परिणामों पर ध्यान केंद्रित ही नहीं किया जिसका परिणाम बाद में उन्हें भोगना भी पड़ा।

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