बस की आत्मकथा इन हिंदी / Bus ki Atmakatha in Hindi
मैं बस हूं जिसका उपयोग आप अपने दैनिक जीवन में करते ही हैं। हर दिन लाखों लोग मेरा उपयोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए करते हैं। मेरे अंदर कुछ बैठने की जगह एवं कुछ खड़े रहने वाली जगह होती हैं। अतः जिन लोगों को बैठने की जगह नहीं मिलती वे लोग खड़े होकर ही अपना सफर पूरा करते हैं।
यही नहीं, मेरा इस्तेमाल शादियों में भी किया जाता है। उस वक्त भी मेरा उपयोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए ही होता है मगर उस वक्त लोगों में अंदर खुशी का माहौल होता है और हर्षोल्लास के साथ लोग सफर तय करते हैं। शादी के पवित्र अवसर पर मेरा उपयोग किया जाना मुझे अत्यंत खुशी प्रदान करता है।
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मेरा उपयोग विद्यालयों में भी किया जाता है। विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को विद्यालय से उनके घर एवं उनके घर से विद्यालय तक पहुंचाने में मेरा उपयोग होता है। इसके अलावा मेरा उपयोग पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों के द्वारा भी किया जाता है।
मैं कभी-कभी बीमार अर्थात् खराब भी हो जाती हूं। तब मुझे मेरे डॉक्टर यानी कि मकैनिक को दिखाया जाता है जो मुझे ठीक करता है और पहले जैसा बना देता है। मकैनिक मेरे खराब पुर्जे को ठीक कर देता है या फिर उसकी जगह नया पुर्जा लगा देता है जिससे मैं पहले जैसी हो जाऊं।
मुझे लोगों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना अत्यंत पसंद है परंतु कभी-कभी मुझे कुछ लोग ऐसे भी मिलते हैं जो कुछ खाकर मुझमें ही कूड़ा फेंक जाते हैं जिससे मैं गंदी हो जाती हूं। अतः इस प्रकार के लोग मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं हैं।