Autobiography of Dustbin in Hindi/ कूड़ेदान की आत्मकथा इन हिंदी
मैं वह हूं जिसे आप लोग कूड़ेदान के नाम से जानते हैं। मैं अपने अंदर दुनिया की सारी गंदगी बटोर कर दुनिया को साफ सुथरा रखता हूं जिससे कि यह दुनिया सुंदर बनी रहे। मुझे नहीं पता कि मेरा जन्म कहां हुआ और कब से मैं यहां पर हूं जहां आप मुझे आज देख रहे हैं। मुझे घर के अंदर हो या बाहर दोनों जगह इस्तेमाल किया जाता है। मैं हर तरह की गंदगी अपने अंदर ले लेता हूं। कूड़ा हो या पॉलीथीन सबको मैं अपने अंदर समा लेता हूं जिससे मेरे आसपास की जगह गंदी ना हो और मेरे आस-पास की जगह साफ रहे।
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कूड़ेदान की आत्मकथा इन हिंदी |
मेरी सुविधा बिल्कुल मुफ्त होती है। अतः मुझे इस्तेमाल करने के लिए कुछ भी देने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। लेकिन फिर भी कुछ लोग मेरा इस्तेमाल नहीं करते हैं और कूड़ा, कचरा और पॉलिथीन या प्लास्टिक से जुड़ी कोई अन्य वस्तु अपने आसपास ही फेंक देते हैं। इससे वह जगह जहां वह फेंक रहे हैं वह तो गंदी होती ही है और साथ में पर्यावरण पर भी इसका असर पड़ता है।
मैं मुख्यतः दो रंग में पाया जाता हूं जिसमें पहला हरा और दूसरा नीला रंग है। इन दोनों में फर्क सिर्फ रंग का नहीं है बल्कि इनके इस्तेमाल के कारण इन्हें अलग-अलग श्रेणी में रखा गया है। हरा रंग के कुड़ेदान का इस्तेमाल खाद्य पदार्थ वाले कचरे के लिए किया जाता है जबकि नीले रंग का इस्तेमाल प्लास्टिक, पॉलिथीन अथवा वह चीज जो अजैवनिघ्नीकरणीय कचरे की श्रेणी में आती हैं उन चीजों के लिए किया जाता है।
मैं मनुष्यों से निवेदन करता हूं कि वह मेरा इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर जरूर करें और कूड़ा-कचरा अथवा पॉलिथीन या प्लास्टिक संबंधित वस्तुओं को मुझमें ही फेंके। उन्हें यूं सड़क या अन्य स्थान पर फेंकने से सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है और उस जगह पर भी गंदगी फैलती है। मुझे आशा है कि अब से आप मेरा इस्तेमाल जरूर करेंगे और अपने कूड़े को मुझमें ही डालेंगे।